"" किसानी के दिन ""
कांदा कुशा के दिन लहुट गे
केकरा मेंचका चंढगे मेड पार
खलबल खलबल चिखला गाये
गॉव गली अंगना दुवार.....
अ र र र र त् त् त् छो के परत हे गुहार........
नांगर बईला धरे जहुरिया
बटकी म बासी बोहे बहुरिया
चलय गॉव गली ले खेत खार
मुठा मा पड़की हाथ म तुतारी
आगु मा बईला पाछु मा संगवारी
करत हे दुनो जीवन बर उपकार
अ र र र र त् त् त् छो के परत हे गुहार......
हरियर हरियर दिखत हे रूख राई
मन ला मचलावत हवय पुरवाई
खल -खल खल -खल नदिया बाढे
रिमझिम गिरे बरसा के फूहार
अ र र र र त् त् त् त् छो के परत हे गुहार.........
झिमिर झिमिर बरसत हे पानी
अाग लगावय मद मस्त जवानी
तन मन हा मारत हे हिलोर
गावय मस्त पवन मल्हार
अ र र र र त् त् त् त् छो के परत हे गुहार......
संजय देवांगन सिमगा
रायपुर छत्तीसगढ़
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