शिव शंकर भोला,
मे बंदत हो तोला,,
मोर खाली हे झोला,
ते भर दे ओला,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,शिव
अन्तरयामी हावस ते,
अवघटदानी हावस ते,,
सब देवता ले बडखा अस ते,
येही समझ के बंदत हावव मे,,
अब तोर उपर हे भरोसा मोला,,,,,,शिव
देवता हो चाहे हो राक्षस,
सबके गोहार ते सुनथस ,,
जॆहर मागथे जइसन ,
ते देथस ओला वईसन,,
जाये के बेरा देथस स्वर्ग ओला ,,,,,,शिव
स्वरचित मौलिक रचना
भरत लाल गौतम
रायगढ, छत्तीसगढ़
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