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जहुरिया_ डोमेन्द्र नेताम
मोर जहुरिया तय खाले किरिया मया हे अडबड़ भारी। झन झोड़बे तय पिरीत के बंधना मोर मयारु संगवारी ।। तोर आंखी के कजरा खोपा के गजरा झुले तोर कान...
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साहित्य संगम संस्थान छत्तीसगढ़ इकाई दिनाँक:25-7-21 विषयः स्वतंत्र विधाः छत्तीसगढ़ी कविता बुंद गिरय नही पानी सुख्खा बादर भर आथे।1 दाँत निपोरे...
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"" किसानी के दिन "" कांदा कुशा के दिन लहुट गे केकरा मेंचका चंढगे मेड पार खलबल खलबल चिखला गाये गॉव गली अंगना दुवार...
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```छत्तीसगढ के बोरे बासी,,, छत्तीसगढ़ के बोरे बासी, खाए ले नई लागे थकासी। संग मा गोंदली चना के साग, कटोरी मां बिजौरी राख...
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