।। *भरे सावन ह सुखा परगें*।।
भरे सावन ह सुखा परगें ,
नई बरसें तय सिटीर छाटर
तोर अगोरा म सब किसान बैईठे हे,
धर के बियासी बर बईला नागर।।
कतिक करबे तय अब मनमानी,
ठेलहा होगें अब जम्मो के जागर ।
नदिया,नरवा,तरिया,डबरी ,
निहारथे आस लगा के देखथे सागर ।।
पिरोहिल ह मयारु बर ,
सज संवर के लगा के बैईठे काजर ।
खेत-खार ह सुना होगें करमा अऊ ददरिया,
अब तो तय बरस जारे करिया बादर ।।
मेंचका ,टेटका ,सांप, झिंगुरा मन,
देखाथे गाऐ बर गीत मल्हार संग मांदर ।
अब सब के मन ल फरिहर कर दे,
बरसत आजा सुग्घर रोटहा पातर ।।
डोमेन्द्र नेताम
मुण्डाटोला डौण्डीलोहारा
जिला-बालोद (छ.ग.)
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