Thursday, August 12, 2021

अशोक शर्मा_बुंद गिरय नही पानी

 साहित्य संगम संस्थान छत्तीसगढ़ इकाई

दिनाँक:25-7-21

विषयः स्वतंत्र

विधाः छत्तीसगढ़ी कविता

बुंद गिरय नही पानी

 सुख्खा बादर भर आथे।1

दाँत निपोरे देखय खेत खार

बारी बखरी होगे बंटा धार

लागत है पानी हा घलो 

कोनों डाहर उड़डिया भगाके।2

जावव कोनो लाव बलाके

कोन डाहर चल दिस रिसाके

देके टिकिया लानव बलाके।3

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